उद्देश्य |
निविष्टी, मांग व उत्पादन के एकत्रीकरण, सामूहिक विपणन एवं मूल्य संवर्धन आदि के लाभों को शामिल करते हुए भारतीय कृषि को एक धारणीय व्यवसाय में बदलने हेतु कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) का सामूहीकरण एक संभाव्य साधन के तौर पर सामने आया है ताकि उनके उत्पादन पर अधिकतम प्रतिफल प्राप्त किया जा सके. |
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पात्रता |
कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) / कृषक उत्पादक कंपनी (एफपीसी) |
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सुविधा की प्रकृति |
* मियादी ऋण/ नगद साख/ प्राप्य के विरुद्ध पुस्तकीय ऋण अधिविकर्ष गैर निधि आधारित (एनएफबी) सीमा – बैंक गारंटी (बीजी) |
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ऋण की प्रमात्रा |
कृषि साख – कॉर्पोरेट कृषक – रू 5.00 करोड़ तक (एफपीओ / एफपीसी ) |
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मार्जिन |
मियादी ऋण / सीसी/ बीजी – 25% पुस्तकीय ऋण अधिविकर्ष - 40% |
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प्रतिभूति |
* प्राथमिक प्रतिभूति – स्टॉक का दृष्टिबंधक / पुस्तकीय ऋण/ संयंत्र व मशीनरी. भूमि व भवन का साम्यिक बंधक * संपार्श्विक – रू 2.00 करोड़ तक – निरंक रू 2.00 करोड़ से अधिक – सीमा का 150% |
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ब्याज दर |
रू 3,00,000/- तक |
एमसीएलआर + 1.35% |
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प्रक्रिया शुल्क |
* रू 25,000/- : निरंक . प्रति लाख रू 120/ या उसके प्रतिभागानुसार अधिकतम रू 50000/ |
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दस्तावेजीकरण शुल्क |
रू 2 लाख तक – निरंक रू 2 लाख से 25 लाख तक - रू 50/- प्रति लाख या उसके प्रतिभागानुसार अधिकतम रू 1000/- रू 25 लाख से 50 लाख तक - रू 75/- प्रति लाख या उसके प्रतिभागानुसार अधिकतम रू 3000/- रू 50 लाख से 1 करोड़ - रू 100/- प्रति लाख या उसके प्रतिभागानुसार अधिकतम रू 7500/- रू 1 करोड़ से रू 100 करोड़ - रू 100/- प्रति लाख उसके प्रतिभागानुसार अधिकतम रू 15000/- |
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चुकौती |
* सीसी/ओडी - प्रति वर्ष नवकरण किया जाएगा *मियादी ऋण – अधिकतम 8 वर्ष (अधिकतम अधिस्थगन अवधि 18 माह शामिल है) |
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